Hanuman Chalisa sadhana prayog

Hanuman Chalisa Prayog Sadhana

हनुमान चालीसा साधना प्रयोग आज हम आपको बताने जा रहे है । जिसके बारे में बहुत कम जानते है । हनुमान जी के बारे में थोडा आपको बताना चाहूँगा : भगवान राम जब बेकुण्ड धाम गए तो एसा कहा जाता है कि भगवान हनुमान जी ने इसी धरती पर रहने का फेसला लिया । अर्थात हनुमान जी महाराज इसी लोक में निवास करते है ।

संकट कटे मिटे सब पीरा।जो सुमिरे हनुमत बल बीरा । ।

उपरोक्त पक्ति से आप भली भांति परिचित होंगे । होंगे भी क्यों नहीं कलयुग के भगवान हनुमान जी को कोन नहीं भजता है । यह पक्ति हनुमान चालीसा से लि गयी है । कई सिद्ध साबर मंत्रो से परिपूर्ण तुरंत फलदायी हनुमान चालीसा होती है । लगभग सभी लोग हनुमान चालीसा जीवन में पड़ते है, बस पड़ने मात्र से संकटो का निवारण हो जाता है तो आप समझ जाइये अगर इसे पूरी विधि अनुसार साधना क्रम में कर लिया जाये तो कितना फल मिलेगा ।

आपको यह जानकर अश्चर्य होगा की जितने मंदिर भगवान राम के नहीं है उससे कही अधिक मंदिर हनुमान जी के है । लगभग हर गाँव में हनुमान जी का मंदिर मिल जाता है और साथ ही भक्त भी । आइये हनुमान चालीसा की महिमा समझते है:

शास्त्रों के अनुसार सिर्फ एक ही चालीसा का उल्लेख मिलता है । अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा की हमने तो और भी चालीसा देखि है? जी हाँ हम सभी ने लगभग सभी देवी /देवता की चालीसा देखि है । में इस कथन को कहकर विवाद में नहीं पड़ना चाहता मगर लोगो ने देखादेखी में अन्य चलिसाओं की रचना कर डाली । यह एक आस्था का विषय है इस पर ज्यादा चर्चा करना अनुचित है । आइये अन्य पक्तियों से इसकी महिमा समझते है :

नासे रोग हरे सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।

संकट ते हनुमान छुडावे । मन क्रम बचन ध्यान जो लावे ।।

सभी रोगों को हर लेते है, सभी संकटों से मुक्त हो जाते है जो भगवान हनुमान जी की आराधना करते है । साक्षात् भगवान शिव के रूप की साबर साधना ही हनुमान चालीसा का महासिद्धि से परिपुरित हनुमान चालीसा के रूप में हमारे पास है । इसमें स्वयं सिद्ध चेतनायुक्त इष्ट भक्ति जागृत है । आइये अब इसकी विधि जानते है :

इसकी विधि का वर्णन भी इसी चालीसा की पक्ति में बताया गया है मगर बहुत ही कम साधको का ध्यान यहाँ जा पता है । जिसने इसको समझ लिया वह सिद्धि प्राप्त कर लिया:

जो सत बार पाठ कर कोई । छूटही बंदी महा सुख होई ।।

जो सत बार अर्तात 100 बार पाठ कर लेता है वह सभी दुखो से,संकटों ,रोगों के बन्धनों से मुक्त हो जाता है । अब आप समझ गए होंगे की इसकी सिद्धि केसे आपको करना है ।

विधि :

इस साधना को पुरुष या स्त्री कोई भी कर सकता है । इस चालीसा सिद्दी में सकाम भाव और निष्काम भाव दोनों से साधना कर सकते है । सबसे पहले हमें किन किन सामग्री की आवश्यकता है उन्हें पहले जान लेते है :

  1. आंक (अकाऊ,मदार,आंकड़ा) या लाल कोई भी पुष्प
  2. गुड़ और उबले चने या कोई भी फल
  3. वश्त्र : लाल वश्त्र ( सकाम ) भगवा वश्त्र ( निष्काम )
  4. घी या तेल का दीपक
  5. चित्र : बलशाली ( सकाम ) , भक्ति भाव ( निष्काम )

सभी सामग्री इकट्टा करने के बाद किसी भी मंगलवार को उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बेठ जाये । अपनें सामने बजोट पर चित्र या यंत्र स्थापित करले । उसके बाद गणेश पूजन, गुरु पूजन ,भगवान राम और हनुमान जी का पंचोपचार पूजन करे । गुरु मंत्र के 11 माला तथा 5 माला “रां रामाय नमः” या राम रक्षा स्त्रोत का 1 पाठ करे । सभी कार्य संपन्न करने के बाद “हं” बीज मंत्र हनुमान जी का ध्यान करके उच्चारण 5 मिनट करे । अब आपको हनुमान चालीसा का जप संकल्प लेकर प्रारंभ करना है । आपके सामने रखे 101 फूल अकाऊ के या उपलब्द न होने पर लाल फूलों को हर एक पाठ के साथ हनुमान जी को समर्पित करे। अंत में पुनः हं बीज का उच्चारण करे और पृथ्वी पर जल छोडके नमस्कार करे आरती करने के बाद खड़े हो जाये।

नियम : 1. इस साधना से एक दिन पहेले सोमवार तथा अंतिम दिन बुधवार तक ब्रम्हचर्य का पालन । इस प्रकार तिन दिन तक इस नियम का पालन होगा ।

2. सधाना काल में बार बार उठना नहीं है और रात्रि में साधना स्थल पर ही भूमि शयन करे ।

3. साधना सामग्री जल में विसर्जित करदे ।

https://youtu.be/2uzDnIl4sKQ

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