अप्सरा साधना में इन्द्र की स्थापना (indra sthapna vidhi)

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अप्सरा साधना में इन्द्र देव की स्थापना का महत्व :-

     अप्सरा साधनाओ में भगवान इन्द्र देव की स्थापना बहुत ही लाभकारी होती है, हम सब जानते है की अप्सराये इन्द्रदेव के दरबार में निवास करती है। शास्त्रों के अनुसार ये सभी देव राज इन्द्र के अधीन होती है। इनके अनुमति के बिना अप्सरा दर्शन नहीं दे सकती है। ये कहा जाता है की इन्द्र देव बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता है। अप्सरा साधना से पूर्व अगर इन्द्र देव की स्थापना कर दी जाये और उन्हें प्रसन्न कर दिया जाये तो सफलता का अनुपात बड जाता है।

     इन्द्र की स्थापना न केवल आपको साधना में सफल बनाएगा अपितु मनवांछित सिद्दी भी दिलवाएगा। देवी सोम्य रूप में आकर दर्शन देगी। किसी भी प्रकार की परीक्षा नहीं लेगी।

  इन्द्र स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री :- इन्द्र स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री का जुटाव हमें कर लेना है-

1 नदी,तालाब या कुवें की साफ मिटटी जिसमे रेत के कण न हो।

2 त्रिगंध : हल्दी ,चन्दन , गोरोचन

3 सफ़ेद तिल 25 ग्राम

4 घी का दीपक

5 दूर्वा

6 फुल-फल ,अक्षत,कुमकुम,जल आदि

स्थापना विधि :- मिटटी में थोडा सा त्रिगंध (जिसका हमने निर्माण किया है) मिलाकर छोटी से गोली बना लेना है यह 10-15mm साइज़ की हो लगभग। गोली निर्माण के समय ॐ ह्रीं इन्द्राये ह्रीं ॐ का उच्चारण करते रहे। इसके बाद सफ़ेद तिल की ढेरी बनाये उस पर गोली को स्थापित कर दें। भगवान महर्षि विस्वामित्र का ध्यान करते हुए गुटिका पर अक्षत ,फुल आदि चडावे। आवाहन मुद्रा में भगवान विस्वामित्र का विनम्रतापूर्वक आह्वान करे और उनसे सफलता की कामना करते हुए प्रार्थना करे।

    अब उनसे अनुमति लेकर विस्वामित्र सिद्ध मंत्र की 3 माला जप करना है प्रत्येक माला के बाद त्रिगंध की एक बिंदी गुटिका को लगाना है। इस प्रकार गुटिका पर तीन बिंदी लगायी जाएगी।

ॐ ऐ ऐ क्लिं क्लिं हूं हूं नमः

(om aim aim klim klim hum hum namah)

    दूर्वा की नोक को हटाकर निम्न मंत्र का उच्चारण करने के बाद दूर्वा की नोक को गोली (गुटिका) को स्पर्श करना है ।प्रत्येक उच्चारण पर यह क्रिया दोहरानी है यह उच्चारण 108 बार किया जायेगा।  प्रातः 3 दिन तक यह क्रम करना है।

मंत्र

ॐ ह्रीं सतअष्टोत्तर सुख प्राप्त्यर्थं  इन्द्राये ह्रीं ॐ नमः

(om hrim satashtottar such praptyartham indraye hrim om namah)

यह कार्य अप्सरा साधना से पूर्व संपन्न कर लेना चाहिए। किसी भी रविवार या गुरुवार को इसे प्रारंभ कर सकते है। जब भी अप्सरा साधना करना हो यन्त्र के बाए अर्थात अपने स्वयं के दाहिने ओर सफ़ेद तिल की ढेरी पर स्थापना करके घी का दीपक जलाना चाहिए। यह बहुत ही उत्तम देवराज इन्द्र की स्थापना विधि है।

     अतः अप्सरा साधना में इन्द्र स्थापना से शीघ्र फल मिलता है। यह तंत्रोक्त ,शाबर या वैदिक किसी भी विधि में उपयोगी है।

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