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एक दिवसीय अप्सरा साधना | सबसे जल्दी सिद्ध होने वाली अप्सरा की 3 साधना | अप्सरा साधना कैसे की जाती है?
एक दिवसीय अप्सरा साधना परिचय:
आज हम बात करेगें एक दिवसीय अप्सरा साधना की चर्चा कर रहे है। शास्त्रों में 108 से अधिक अप्सराओं की चर्चा की गई है। लग भग सभी अप्सराओं की विधियां अलग अलग है। इसमें ज्यादातर वैदिक पद्धति में बताई गई है।
अप्सरा बहुत सुंदर दिखने वाली 16 से 18 वर्ष की युवा कन्या होती है। इसका शरीर बहुत ही सुडोल और आकर्षक होता है। यह प्रेम की साक्षात मूर्ति होती है। जिससे हमारे जिवन में अनुकूलता मिलती है।
इस देवी का स्वरुप सोंदर्य से भरपूर है, कोमलता से भरा शरीर पूर्ण यौवन से लबालब है। सागर जैसी नीली-नीली आंखे है, हवा में नागिन जैसे लहराते हुए बाल है। इनका रंग हल्का सुनहरा और कानो में स्वर्ण कुंडल पहेने है।
पूर्ण यौवन भार से लदी ,चांदनी की तरह चमकते हुए कपडे शरीर में लिपटे हुए है। 16 वर्ष की दिखने वाली सुन्दर आकर्षण से भरपूर मादक खुशबु बिखेरने वाली है। इसके देखने के बाद देवता भी मुग्द हो जाते है तो साधक क्या चीज़ है।
अप्सराओं की उत्पत्ति के बारे में शास्त्रों में वार्णित है, कि समुन्द्र मंथन में सबसे पहेले रम्भा अप्सरा फिर अमृत तथा तत्काल बाद भगवती लक्ष्मी प्रकट हुई थी। इसलिए अप्सराओं को स्वर्ग की सुन्दरता के लिए रखा गया और इनका महत्व सभी रत्नों में सर्वश्रेष्ट भी कहा गया है।
रूप,रस तथा जल तत्व प्रधान होने के कारण इनका नाम अप्सरा पड़ा और इनके गुण देवताओ के सामान ही पूर्ण रूप से प्रभावशाली है। एक तथ्य और आता है कि इन्द्र ने 108 ऋचाओ की रचना करके इन्हें प्रकट किया।
सबसे जल्दी सिद्ध होने वाली अप्सरा 3 की साधना
अप्सरा और यक्षणी साधना सरल होती है क्योंकि यह पृथ्वी से बहुत नजदीक होती है। लेकिन इसमें भी सबसे जल्दी सिद्ध होने वाली एक दिवसीय अप्सरा साधना की श्रेणी में निम्नलिखित अप्सरा आती है:
1. नाभी दर्शना अप्सरा साधना:
यह एक दिवसीय अप्सरा साधना है इसे करने से जल्द ही सफलता मिलती है। नाभी दर्शना अप्सरा साधना को किसी भी शुक्रवार से प्रारंभ कर सकते है। यह एक रात्रिकालीन साधना है इसे साधक को रात्रि 10 बजे के बाद करना चाहिए।
साधना के लिए एकांत कमरे का चयन कर लें। साधक को साधना सामग्री पूर्व में जो लेकर आये उसे एकत्रित कर लेना चाहिए और फिर नहाकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बेठ जाना चाहिए। वस्त्र कोइ से भी सुन्दर लगने वाले धारण कर लेना चाहिए तथा इत्र स्वयं पर और पुरे कमरे में छिड़क लेना चाहिए।
सर्वप्रथम अपने सामने एक लकड़ी का बजोट लेकर रखे और उस पर पिला वस्त्र बिछाकर गणेश,गुरु ,और यंत्र की स्थापना करे। अब सभी का पंचोपचार पूजन संपन्न करे। घी का दीपक लगाये उसके बाद आपको नाभि दर्शाना अप्सरा माला से 21 माला मन्त्र उसी रात्रि को संपन्न करना है।
यह एक दिवसीय अप्सरा साधना है। जिसका मूल मंत्र निम्नलिखित हैं:
!! ॐ ऐं श्रीं नाभिदर्शना अप्सरा प्रत्यक्षं श्रीं ऐं !!
अप्सरा मूल मंत्र
साधना के दौरान अगर किसी भी प्रकार की हलचल हो जैसे घुंघरूओ की आवाज या स्पर्श या सामने दिखाई दे तो तो आपको बिलकुल भी विचलित होने की जरूरत नहीं है। आपको पूर्ण एकाग्रता से जप पूर्ण करना है। जप पूर्ण हो जाने के बाद ही अप्सरा से आप वचन मांगेंगे जिसमे सर्व प्रथम उन्हें पुष्प की माला एवं मिठाई भेंट करेंगे।
वचन लेने के लिए उनके हाथ में हाथ रखकर प्रेम से कोई भी वचन मांग ले। अक्सर देखा गया है कि साधक वचन मांगते वक़्त घबराहट में या उससे मोहित होकर वचन भूल जाते है। इसका एक उपाय है आप वचन किसी कागज में लिखकर दीवार पर चिपका दें। अब उसे देखकर आप उनसे वचन मांगे।
अब जब भी एक माला जप करेंगे आपको अप्सरा दर्शन देगी। आप उनसे प्रेमपूर्वक पेश आये किसी भी प्रकार से उनसे वाद विवाद न करे। देवी शक्ति है रुष्ट हो जाने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते है।
2. उर्वशी अप्सरा साधना :
यह भी एक दिवसीय अप्सरा साधना है उर्वशी एक दिवसीय अप्सरा साधना करने से तुरंत लाभ नजर आते हैं। यह अप्सरा साधना कैसे की जाती है? आइए जानते हैं: अब
अवश्यक सामग्री:
- अप्सरा यंत्र और अप्सरा वशीकरण यंत्र
- स्फटिक माला या रुद्राक्ष माला
- गुलाब के पुष्प और गुलाब का इत्र
- लाल कपड़ा और ऊनी आसन
- इंद्र गुटिका (अगर हो तो)
एकांत कमरे का चयन कर लेवे और फिर नहाकर उत्तर या पुर्व दिशा की ओर मुख करके ऊनी आसन पर बेठ जाना चाहिए। लाल वस्त्र या कोइ से भी सुन्दर लगने वाले धारण कर लेना चाहिए तथा गुलाब का इत्र स्वयं पर और पुरे कमरे में छिड़क ले।
सर्वप्रथम अपने सामने एक लकड़ी का बजोट लेकर रखे और उस पर लाल वस्त्र बिछाकर गणेश,गुरु ,और यंत्र की स्थापना करे। अब सभी का पंचोपचार पूजन संपन्न करे। घी का दीपक लगाये उसके बाद आपको अप्सरा यन्त्र और गुटिका बाजोट पर स्थापित करें । उस पर गुलाब की पंखुड़ियां ॐ उर्वशीये नमः का उच्चारण करते हुए बिखेर डाल दे ।
अब अप्सरा माला से 35 माला मूल मन्त्र रात्रि को संपन्न करना है।
।। ॐ श्रीं क्लीं उर्वशी आगच्छा आगच्छ ह्लि स्वाह।।
एक दिवसीय अप्सरा साधना उर्वशी अप्सरा मूल मंत्र
इसके अनुभव अनुसार साधक को गुलाब की खुशबू बढ़ती हुई प्रतीत होगी। अंतिम माला जप तक पहुंचने पर आपको घुंगरू की आवाज सुनाई दे सकती है। कई बार अनुभव किया गया है की अप्सरा सीधे प्रत्यक्ष भी हो जाती है। उस समय धैर्य से जाप जारी रखें।
अगर वह साधना खंडन के उद्देश्य से आयेगी तो आपके साथ ठिटोलिया कर सकती है या निर्वस्त्र होकर नृत्य कर सकती है। उस समय आंखे बंद करके जाप करते रहें।
3. कामच्छी अप्सरा साधना :
इसी श्रेणी में एक दिवसीय अप्सरा साधना कामच्छी अप्सरा की है। क्या साधना बहुत ही सरल है इस साधना को करने से व्यक्ति की काम इच्छा की पूर्ति होती है। साधना अनुसार यह अप्सरा प्रत्यक्ष होकर साधक के साथ काम संबंध बनाकर अपने आभूषण वही छोड़ जाती है। अर्थात हम कह सकते यह अप्सरा कामसुख एवं धनसुख दोनों इच्छाओं की पूर्ति करती है।
अप्सरा के नाम से निहित है। इस अप्सरा को काम भाव से सिद्ध किया जाता है। इसलिए साधक काम भावना के अनुसार इसका चयन करें। इसमें निम्लिखित सामग्री की अवश्यकता है:
- अप्सरा यंत्र
- स्फटिक माला
- सफेद चंदन
- इत्र चंदन का
- गुलाब के पुष्प
यह अप्सरा साधना कैसे की जाती है? आइए जानते हैं:
यह अप्सरा साधना विषेश तिथियों पर की जाती है आप इसे दिवाली, दशहरा, होली, नवरात्रि, ग्रहण काल, या किसी भी अमावस्या, पूर्णिमा तथा रविपुष्य नक्षत्र की रात्रि में की जा सकती है।
यह एक दिवसीय अप्सरा साधना रात्रि कालीन है। इसकी विधीनुसार पितृ पूजा, गुरु, गणेश, शिव, भैरव, और स्थान देवताओं की पुजा श्याम को ही संपन्न कर लेना चाहिए। रात्रि में सिर्फ अप्सरा की पुजा सपन्न करना है।
अब साधक को नहा धोकर सफेद चंदन की लकड़ी को गुलाब जल के साथ घिसकर शरीर में जगह-जगह हल्का-हल्का लेप कर लेना चाहिए एवं सफेद या लाल रंग के वस्त्र धारण कर लेना चाहिए।
आप साधक को एकांत कमरे में उत्तर की तरफ मुख करके लकड़ी के बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर यंत्र स्थापित कर दे। अब गुलाब के पंखुड़ियां उस पर बिखेर देना है । इस कमरे में किसी भी प्रकार का चित्र या भगवान नहीं होना चाहिए। और साधना प्रारंभ करने से पहले या उसे दिन किसी भी प्रकार की कवच या हनुमान चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए।
कमरे में एक किनारे में सुंदर बिस्तर लगा लेना है। जिस पर गुलाब का इत्र और गुलाब की पंखुड़ियां बिखेर देना है। अप्सरा को यहां आसन दे।
यन्त्र के सामने पूजन करना है और घी का दीपक लगाएं, गुलाब की धूप बत्ती लगाए और उसे सफेद चंदन का लेप लगाने के लिए दे।
भोग के लिए अच्छी दूध की मिठाई केसर डालकर एक कटोरी में चढ़ावे साथ ही पानी का गिलास और एक गिलास सरबत बनाकर दे।
ध्यान : अप्सरा का चिंतन करना है कम से कम 15 मिनिट। चिंतन में आप उससे बात कर सकते है। उसका आस पास होने का एहसास करना है। इसके बाद स्फटिक की माला से 31 माला जाप करना है।
ॐ ह्लीं कामेच्छी अप्सरा आगच्छागच्छ मम संसर्ग कुरु कुरु स्वाहा
गुप्त मंत्र
अनुभव:इस प्रकार के मिलते जुलते अनुभव हो सकते हैं। 3 से 4 माला होने पर आपके शरीर में चीटिया को काटने के अनुभव हो सकते है। 6 से 7 माला के बाद खुशबू का अनुभव हो सकता है। जो कमजोर सड़क है उनको नींद के झोंके आने लगते हैं। 20 से 21 माला होने पर कमरे का वातावरण बहुत शांत हो जाएगा और ठंडा हो जाएगा। 27 से 28वीं माला तक अप्सरा आपके साथ टिंटोलिया करने लग जाती है।
प्रत्येक व्यक्ति का अनुभव अलग-अलग हो सकता है लेकिन लगभग मिलता-जुलता ही होता है। माला एकाग्रता से जाप करते रहना है इस प्रकार की किसी भी क्रिया पर प्रतिक्रिया नहीं देना है। 31 माला पूर्ण होने पर ही अप्सरा से बात करें। जो वह पूर्ण रूप से प्रत्यक्ष होकर आपके साथ आकर बात करना चाहे जब आपको बात करना है और साथ ही उसे गुलाब के पुष्प की माला अर्पित करना है।
फिर अप्सरा स्वयं आपको बिस्तर पर लेकर जाएगी और प्रेम भरी बातें करेगी। अप्सरा के साथ क्रिया करने के बाद वह अपने वस्त्र को यही छोड़ कर जाएगी उसके बाद आप उसका उपयोग कर सकते हैं।
आप अपनी इच्छा अनुसार वचन मांग सकते हैं । इस प्रकार या साधन संपन्न होती है। यह एक दिवसीय अप्सरा साधना बहुत ही प्रभावशाली है।
इस प्रकार एक दिवसीय अप्सरा साधना के बारे में हमने आपको बताया। सबसे जल्दी सिद्ध होने वाली अप्सरा साधना उपरोक्त तीनों है। इसे हर साधक को करना चाहिए।
अप्सरा साधना कैसे की जाती है?
अप्सरा साधना करने के लिए साधक को ध्यान योग या त्राटक साधना का अभ्यास करते रहना चाहिए। यह दिव्य शक्तियों से सपर्क करने में सहायता प्रदान करता है। साफ मन से जाप करने से फ्रैकवेंसी मजबूत होती है।
अध्यात्मिक जगत में प्रवेश से पहले गुरु और गुरु द्वारा दिया गया इष्ट मंत्र का जाप आवश्यक माना गया है। गुरु मंत्र के जाप से ओरा (तपो बल) बढ़ता है। जिससे हमें साधना सिद्धि में शक्ति मिलती है।
आशा करते है आपको एक दिवसीय अप्सरा साधना की जानकारी पसन्द आई होगी।